2024 अलविदा
2024 अब तुम्हारे जाने का समय आ चुका है। तुम्हें अलविदा कहते हुए इस वर्ष का आखिरी लेख लिख रही हूँ-
हम सभी जानते हैं कि समय कभी रुकता नहीं है, वह हमेशा चलायमान रहता है। इस बात का सबसे अधिक अहसास किसी वर्ष के समाप्त होने पर होता है। ये समय ऐसा होता है जब हम चाहे अनचाहे अपने बीते 12 महीनों को याद करते हैं। हमारे साथ हुए अच्छे-बुरे कामों को याद करते हैं। अपनी निजी परिस्थितियों को याद करते हैं। सबसे अधिक हम जो याद करते हैं वो होता है-
हमारे छूटे हुए काम, हमारे अधूरे काम, हमारी अधूरी इच्छाएँ
इन सबको याद करते हुए हमारे अंदर कहीं न कहीं एक नकारात्मकता पैदा होने लगती है। और जल्दी ही अगर इस नकारात्मकता को रोकने का प्रयास न किया जाए तो ये बढ़ती रहती हो और कई तरीक़ों से आने वाले समय को भी खराब कर देती है।
कई बार देखा जाता है कि पहले जो लोग साल की शुरुआत में ढेरों लक्ष्य बनाते थे वो अब लक्ष्य अधूरे रहने पर नए लक्ष्य बनाना छोड़ देते हैं। सिर्फ इस डर से क्योंकि उनके मन के किसी कोने में ये विश्वास जड़ जमा लेता है कि वो जो भी लक्ष्य बनाएँगे वो पूरा नहीं कर पाएँगे। और वर्ष के अंत में उन्हें असफलता देखनी पड़ेगी।
ऐसे में क्यों न इस अभ्यास को अब थोड़ा बदलने का प्रयास किया जाए-
क्यों न हम समय बीत जाने पर हमारे अधूरे कामों की सूची को देख रोने के बजाए उस समय हुए अच्छे कामों को याद करके थोड़ा खुश हुआ जाए। खुद पर विश्वास बढ़ाया जाए।
ऐसा हो ही नहीं सकता कि बीते समय में कुछ भी अच्छा न हुआ हो। अगर आपको अपने साथ कुछ होता हुआ नहीं याद आता है तो वो याद करने की कोशिश कीजिए जो बुरा हुआ और जो और भी बुरा हो सकता था लेकिन उतना हुआ नहीं।
नज़रिया बदलेंगे, नज़र बदल जाएगी
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