देश के प्रत्येक नागरिक को गणतंत्र दिवस की बधाई। गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में मैं प्रस्तुत कर रही हूँ एक कविता- जल रही थी चिंगारी जाने कितने बरसों से कर रहे थे यत्न वीर जाने कितने अरसों से आँखें क्रुद्ध, भीषण युद्ध, ब्रिटिश विरुद्ध जाने कितनी बार हुए.... माताओं की गोदी सूनी कर जाने कितने बेटे संहार हुए वीरों के बलिदानों से माँ भारती बेड़ियाँ मुक्त हुई फिर केसरिया-सफ़ेद-हरा लहरा माँ भारती तिरंगा युक्त हुई स्वतंत्र हुई, स्वराज्य मिला किंतु स्वशासन अभी अधूरा था जिसे 2 वर्ष, 11 माह 18 दिन में अम्बेडकर जी ने किया पूरा था फिर संविधान लागू कर लोकतंत्र का 'गुंजन' हुआ आज इसी दिन गणराज्य बना आज ही गणतंत्र हुआ आज इसी दिन गणराज्य बना आज ही गणतंत्र हुआ सभी को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ तथा सभी वीरों/ शहीदों को श्रद्धांजलि अन्य कविताएँ IG- poetry_by_heartt twitter
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