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Class 10 Hindi notes (Kshitij se- paath 12 and Kritika se paath 1-2)

 Class 10 Hindi notes (क्षितिज से पाठ १२ तथा कृतिका से पाठ १-२) 

क्षितिज से पाठ १२ संस्कृति 

प्रश्न 1. लेखक की दृष्टि में ‘सभ्यता’ और ‘संस्कृति’ की सही समझ अब तक क्यों नहीं बन पाई है?

उत्तर: लेखक के अनुसार, सभ्यता और संस्कृति जैसे शब्दों की सही समझ अभी तक नहीं बन पाई है। इसका मुख्य कारण यह है कि लोग इन शब्दों का तो बार-बार उपयोग करते हैं, लेकिन इनके वास्तविक अर्थ को समझने में असमर्थ रहते हैं। बिना गहराई से जाने, वे इन्हें मनमाने ढंग से प्रयोग करते हैं। साथ ही, इन शब्दों के साथ भौतिक और आध्यात्मिक जैसे विशेषण जोड़कर इन्हें और भी जटिल और भ्रमपूर्ण बना देते हैं। ऐसी स्थिति में हर व्यक्ति अपनी सुविधा और समझ के अनुसार इनका अर्थ निकाल लेता है, जिससे इन शब्दों की स्पष्ट व्याख्या आज भी अधूरी रह जाती है।

प्रश्न 2. आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज क्यों मानी जाती है? इस खोज के पीछे रही प्रेरणा के मुख्य स्रोत क्या रहे होंगे?

उत्तर- आग की खोज मानव इतिहास की सबसे महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक मानी जाती है, क्योंकि इसने उसकी जीवनशैली और खानपान में क्रांतिकारी बदलाव किए। आग ने भोजन को स्वादिष्ट और पचने योग्य बनाया, जिससे पेट की ज्वाला शांत करना आसान हुआ। ठंड से बचने का साधन और अंधकार में प्रकाश प्रदान कर, यह जीवन को अधिक सुरक्षित और आरामदायक बनाने का माध्यम बनी। आग के सहारे जंगली जानवरों का खतरा कम हुआ, और मानव को सभ्यता की ओर बढ़ने का मार्ग प्रशस्त हुआ। इसकी खोज के पीछे पेट की भूख, ठंड से राहत, प्रकाश की आवश्यकता और सुरक्षा की चाह जैसे प्रेरक तत्व मुख्य रहे।

प्रश्न 3. वास्तविक अर्थों में ‘संस्कृत व्यक्ति’ किसे कहा जा सकता है?

उत्तर- वास्तविक अर्थों में संस्कृत व्यक्ति वही है जो अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के बाद भी निष्क्रिय न रहकर अपने विवेक और बुद्धि का उपयोग समाज के हित में करता है। वह नवीन तथ्यों की खोज करके मानव सभ्यता के उत्थान का मार्ग प्रशस्त करता है। उदाहरण के लिए, न्यूटन को संस्कृत व्यक्ति कहा जा सकता है, क्योंकि उन्होंने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत की खोज कर मानव सभ्यता को नई दिशा दी। इसी प्रकार, सिद्धार्थ (भगवान बुद्ध) ने मानवता को सुखी बनाने के लिए अपने सुख-सुविधाएँ त्यागकर सत्य की खोज हेतु तपस्या की।

प्रश्न 4. न्यूटन को संस्कृत मानव कहने के पीछे कौन से तर्क दिए गए हैं? न्यूटन द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों एवं ज्ञान की कई दूसरी बारीकियों को जानने वाले लोग भी न्यूटन की तरह संस्कृत नहीं कहला सकते, क्यों?
उत्तर- न्यूटन को संस्कृत मानव इसलिए कहा गया क्योंकि उन्होंने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का आविष्कार किया। किसी नई वस्तु या तथ्य की खोज करना संस्कृत मानव की पहचान है। न्यूटन के युग के अन्य लोग, भले ही वे उनके सिद्धांत से परिचित थे, संस्कृत मानव नहीं कहे जा सकते क्योंकि उन्होंने नई खोज या आविष्कार नहीं किया। ऐसे लोग केवल "सभ्य मानव" कहलाते हैं, जबकि संस्कृत मानव वही होता है जो नवाचार करे।

प्रश्न 5. किन महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा?
उत्तर- सुई और धागे का आविष्कार दो प्रमुख आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हुआ:

  1. शरीर को शीत और उष्ण मौसम से बचाने के लिए कपड़ों की सिलाई।
  2. मनुष्य की सुंदर दिखने की चाहत को पूरा करने के लिए, जो पहले पत्तों और छाल से होती थी।

प्रश्न 6. “मानव संस्कृति एक अविभाज्य वस्तु है।” किन्हीं दो प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जब
(क) मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ की गईं।
(ख) जब मानव संस्कृति ने अपने एक होने का प्रमाण दिया।
उत्तर-
(क) समय-समय पर मानव संस्कृति को धर्म और संप्रदायों में बाँटने के प्रयास किए गए। असामाजिक तत्वों और धर्म के तथाकथित ठेकेदारों ने हिंदू-मुस्लिम सांप्रदायिकता का विष फैलाकर समाज को विभाजित करने की कोशिश की। त्योहारों के समय ये तत्व एक-दूसरे को उकसाकर हिंसा भड़काने का प्रयास करते थे। मस्जिदों के सामने बाजा बजाना, ताजिए के समय विवाद खड़ा करना, या धार्मिक प्रतीकों को तोड़ने जैसे कार्य संस्कृति को नुकसान पहुँचाने के कुत्सित प्रयास थे।

(ख) मानव संस्कृति का मूल भाव कल्याण है, जिसमें किसी भी प्रकार के अकल्याणकारी तत्वों का स्थान नहीं। समय-समय पर मानवता की सेवा के लिए प्रेरणादायक कार्य हुए हैं, जैसे:

  • भूखे को भोजन देना।
  • बीमार बच्चे की देखभाल में माँ का रातभर जागना।
  • कार्ल मार्क्स ने मजदूरों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।
  • लेनिन ने अपनी डेस्क की ब्रेड भूखे को दे दी।
  • सिद्धार्थ ने मानवता के कल्याण हेतु राजसुख त्यागकर ज्ञान प्राप्ति का मार्ग चुना।

प्रश्न 7. आशय स्पष्ट कीजिए
(क) मानव की जो योग्यता उससे आत्मविनाश के साधनों का आविष्कार कराती है, हम उसे उसकी संस्कृति कहें या असंस्कृति?
उत्तर- संस्कृति और कल्याण की भावना गहराई से जुड़ी हैं। कल्याणकारी दृष्टिकोण संस्कृति का आधार है। यदि संस्कृति से कल्याण की भावना हटा दी जाए, तो वह "असंस्कृति" बन जाती है। आत्मविनाशकारी साधनों का आविष्कार या उनके उपयोग से ऐसी संस्कृति "असंस्कृति" का रूप ले लेती है। इसलिए संस्कृति का उद्देश्य सदैव मानवता के हित और कल्याण में निहित होना चाहिए।

कृतिका से पाठ २ साना-साना हाथ जोड़ि 

प्रश्न 1. झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक लेखिका को किस तरह सम्मोहित कर रहा था?
उत्तर- गंगटोक की झिलमिलाती रात, सितारों की रोशनी से नहाए हुए दृश्य ने लेखिका को सम्मोहित कर दिया। इस अद्भुत सुंदरता ने उसके मन में ऐसा जादुई प्रभाव डाला कि उसे सब कुछ ठहरा हुआ और अर्थहीन प्रतीत होने लगा। यह दृश्य उसके मन और आत्मा में एक अजीब-सा शून्य भर गया, जैसे सब कुछ थम गया हो।

प्रश्न 2. गंतोक को ‘मेहनकश बादशाहों का शहर’ क्यों कहा गया?

उत्तर- गंगटोक एक पर्वतीय स्थल है जिसे वहाँ के मेहनतकश निवासियों ने अपनी अथक मेहनत से सुरम्य बनाया है। वहाँ हर समय—सुबह, शाम, और रात—अद्भुत सुंदरता का अनुभव होता है। गंगटोक को "मेहनतकश बादशाहों का शहर" कहा गया है क्योंकि इसके निवासियों का जीवन परिश्रम की प्रेरणा से ओत-प्रोत है।

प्रश्न 3. कभी श्वेत तो कभी रंगीन पताकाओं का फहराना किन अलग-अलग अवसरों की ओर संकेत करता है?
उत्तर- बौद्ध धर्म में श्वेत पताकाएँ किसी अनुयायी की मृत्यु के बाद उसकी आत्मा की शांति के लिए वीरान स्थानों पर फहराई जाती हैं। इन पर मंत्र लिखे होते हैं, और ये पताकाएँ समय के साथ स्वयं नष्ट हो जाती हैं। वहीं, किसी शुभ कार्य के आरंभ पर रंगीन पताकाएँ फहराई जाती हैं।

प्रश्न 4. जितेन नार्गे ने लेखिका को सिक्किम की प्रकृति, वहाँ की भौगोलिक स्थिति एवं जनजीवन के बारे में क्या महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ दीं, लिखिए।
उत्तर- जितेन ने लेखिका को सिक्किम की प्राकृतिक सुंदरता, भौगोलिक स्थिति, और सांस्कृतिक विशेषताओं के बारे में एक कुशल गाइड की तरह समझाया।

  • गंगटोक से यूमथांग तक के क्षेत्रों में फूलों से भरी वादियाँ हैं।
  • बौद्ध धर्म में श्वेत पताकाएँ मृत्यु के समय और रंगीन पताकाएँ शुभ कार्य के आरंभ पर लगाई जाती हैं।
  • कवी-लोंग-स्टॉक में गाइड फिल्म की शूटिंग हुई थी।
  • धर्मचक्र (प्रेयर व्हील) को घुमाने से पाप धुलने की धारणा है।
  • नार्गे ने "कटाओ" को हिंदुस्तान का स्विट्जरलैंड बताया और यूमथांग की घाटियों को फूलों की सेज की तरह अद्भुत बताया।


प्रश्न 5. लोंग स्टॉक में घूमते हुए चक्र को देखकर लेखिका को पूरे भारत की आत्मा एक-सी क्यों दिखाई दी?
उत्तर- लोंग स्टॉक में धर्मचक्र को देखकर लेखिका ने जब उसके बारे में पूछा, तो जितेन ने बताया कि इसे घुमाने से पाप धुल जाते हैं। यह सुनकर लेखिका को अहसास हुआ कि भारत की आत्मा में एकरूपता है। मैदानी क्षेत्रों में गंगा के प्रति भी ऐसी ही मान्यता है। लेखिका को यह प्रतीत हुआ कि वैज्ञानिक प्रगति के बावजूद भारतीय आस्थाएँ, विश्वास, और पाप-पुण्य की अवधारणाएँ एक समान हैं।

प्रश्न 6. जितने नार्गे की गाइड की भूमिका के बारे में विचार करते हुए लिखिए कि एक कुशल गाइड में क्या गुण होते हैं?उत्तर- जितेन नार्गे लेखिका का चालक और गाइड दोनों था। वह नेपाल और सिक्किम के क्षेत्रों से सुपरिचित था और एक कुशल गाइड के गुणों से परिपूर्ण था:

  • उसे भौगोलिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जानकारी थी।
  • वह रुचिकर शैली में सैलानियों को आकर्षित करता था।
  • अपनी वाक्पटुता से उसने लेखिका को धर्मचक्र और पताकाओं के बारे में रोचक जानकारियाँ दीं।
  • नार्गे सैलानियों के साथ घुल-मिलकर आत्मीयता का भाव उत्पन्न करता था।

प्रश्न 7. इस यात्रा-वृत्तांत में लेखिका ने हिमालय के जिन-जिन रूपों का चित्र खींचा है, उन्हें अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- इस यात्रा के दौरान लेखिका ने हिमालय की बदलती हुई भव्यता का अनुभव किया। ऊँचाई बढ़ने के साथ छोटे-छोटे पहाड़ विशाल पर्वत बनते गए, घाटियाँ गहरी होती गईं, और वादियाँ रंग-बिरंगे फूलों से सजती नजर आईं। प्राकृतिक सौंदर्य के इस सजीव चित्र ने लेखिका के मन को मोह लिया। कहीं हरियाली से लिपटा हिमालय चटक हरे रंग में सजा दिखा तो कहीं पथरीला और नंगा नजर आया।

प्रश्न 8. प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका को कैसी अनुभूति होती है?

उत्तर- प्रकृति की इस विराटता ने लेखिका को ऋषि की भाँति शांत और मौन कर दिया। उसे ऐसा प्रतीत हुआ जैसे वह इस सौंदर्य को अपने भीतर समेट लेना चाहती हो। झरने के संगीत और पत्थरों पर गिरती जलधारा के साथ उसे अपनी आत्मा का संगीत सुनाई दिया। वह अद्भुत सुख और रोमांच से भर उठी। यह अहसास उसके लिए जीवन के आनंद का सार था।

प्रश्न 9. प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका को कौन-कौन से दृश्य झकझोर गए?

उत्तर- प्राकृतिक सौंदर्य में डूबी लेखिका को तब झटका लगा जब उसने देखा कि कुछ पहाड़ी महिलाएँ पत्थर तोड़ने का कार्य कर रही थीं। उनकी पीठ पर टोकरी में बच्चे बँधे थे, और हाथों में कुदाल और हथौड़े थे। इन महिलाओं के श्रम और संघर्ष ने लेखिका को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि प्रकृति की सुंदरता के बीच भी भूख और जिजीविषा की जंग जारी रहती है।

प्रश्न 10. सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव करवाने में किन-किन लोगों का योगदान होता है, उल्लेख करें।

उत्तर- सैलानियों को प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव कराने में कई लोग योगदान देते हैं:

  • सरकारी अधिकारी, जो व्यवस्था बनाते हैं।
  • गाइड, जो क्षेत्र की जानकारी सैलानियों को देते हैं।
  • स्थानीय निवासी, जो सैलानियों से आत्मीयता से पेश आते हैं।
  • सहयात्री, जो यात्रा का आनंद बढ़ाते हैं।

प्रश्न 11. “कितना कम लेकर ये समाज को कितना अधिक वापस लौटा देती हैं।” इस कथन के आधार पर स्पष्ट करें कि आम जनता की देश की आर्थिक प्रगति में क्या भूमिका है?
उत्तर-  लेखिका ने देखा कि पहाड़ी मजदूर औरतें पत्थर तोड़कर पर्यटकों के लिए सड़कें बना रही थीं। इस प्रयास से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जो देश की आर्थिक प्रगति में सहायक होगा। इसी तरह किसान और मजदूर भी अपने कार्यों से राष्ट्र निर्माण में अप्रत्यक्ष रूप से योगदान देते हैं।

प्रश्न 12. आज की पीढ़ी द्वारा प्रकृति के साथ किस तरह का खिलवाड़ किया जा रहा है। इसे रोकने में आपकी क्या भूमिका होनी चाहिए।

उत्तर- आज मनुष्य प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहा है। पहाड़ों पर अंधाधुंध पेड़ों की कटाई और नदियों में गंदगी डालने से पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है। वाहनों का धुआँ, पॉलिथिन का प्रयोग, और प्रदूषण ग्लेशियरों को पिघला रहा है। इसे रोकने के लिए:

  • वृक्षारोपण को बढ़ावा दें।
  • वाहनों का कम उपयोग करें।
  • पॉलीथिन और कचरे को सही स्थान पर फेंकें।

प्रश्न 13. प्रदूषण के कारण स्नोफॉल में कमी का जिक्र किया गया है? प्रदूषण के और कौन-कौन से दुष्परिणाम सामने आए हैं, लिखें।
उत्तर- प्रदूषण के कारण हिमालय में बर्फबारी कम हो गई है। इस बदलाव से नदियों में जल प्रवाह घट रहा है, जिससे पीने के पानी की समस्या उत्पन्न हो रही है। वायु और ध्वनि प्रदूषण स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ा रहे हैं।

प्रश्न 14. ‘कटाओ’ पर किसी भी दुकान का न होना उसके लिए वरदान है। इस कथन के पक्ष में अपनी राय व्यक्त कीजिए?
उत्तर- "कटाओ" अपनी स्वच्छता और सुंदरता के कारण "हिंदुस्तान का स्विट्जरलैंड" कहलाता है। व्यवसायीकरण के अभाव में यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य सुरक्षित है। यदि यहाँ भी दुकानें और व्यावसायिक गतिविधियाँ बढ़ीं, तो यह सुंदरता समाप्त हो जाएगी।

प्रश्न 15. प्रकृति ने जल संचय की व्यवस्था किस प्रकार की है?

उत्तर- प्रकृति ने जल-संचय की अद्भुत व्यवस्था की है। पर्वतों पर सर्दियों में जमा बर्फ गर्मियों में पिघलकर नदियों के रूप में बहती है। यह जल न केवल प्यास बुझाता है, बल्कि सिंचाई और अन्य कार्यों में भी उपयोगी है। जलचक्र के माध्यम से प्रकृति जल का संरक्षण और वितरण सुनिश्चित करती है।

प्रश्न 16. देश की सीमा पर बैठे फ़ौजी किस तरह की कठिनाइयों से जूझते हैं? उनके प्रति हमारा क्या उत्तरदायित्व होना चाहिए?

उत्तर- सीमाओं पर तैनात सैनिक कठिन परिस्थितियों में भी देश की रक्षा करते हैं। कड़कड़ाती ठंड और तपती गर्मी में उनका संघर्ष सराहनीय है। उनके प्रति हमारा कर्तव्य है कि हम उन्हें सम्मान दें और उनके परिवारों के साथ आत्मीयता का भाव रखें।


कृतिका से पाठ ३ मैं क्यों लिखता हूँ (अज्ञेय)


प्रश्न 1. लेखक के अनुसार प्रत्यक्ष अनुभव की अपेक्षा अनुभूति उनके लेखन में कहीं अधिक मदद करती है, क्यों?
उत्तर १- लेखक के अनुसार, सच्चा लेखन भीतरी विवशता से उपजता है। यह विवशता मन की गहराइयों से उत्पन्न अनुभूतियों का परिणाम होती है, न कि बाहरी घटनाओं का। जब तक किसी अनुभव से कवि का हृदय पूरी तरह संवेदित नहीं होता, तब तक लेखन संभव नहीं है। सृजन की पीड़ा ही उसे लिखने को बाध्य करती है। लेखक मानता है कि लेखन बाहरी प्रेरणाओं से नहीं, बल्कि हृदय की संवेदना से जागता है।

प्रश्न 2. लेखक ने अपने आपको हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता कब और किस तरह महसूस किया?
उत्तर २- लेखक ने हिरोशिमा की त्रासदी को समाचारों और अस्पतालों में देखा था, लेकिन यह अनुभव उसे गहराई से प्रभावित नहीं कर सका। एक दिन उसने सड़क पर एक जले हुए पत्थर पर मनुष्य की छाया देखी। इससे उसे विस्फोट के समय की भयानकता का आभास हुआ। वह सोचने लगा कि उस व्यक्ति की छाया विस्फोट की रेडियोधर्मी किरणों से पत्थर पर अंकित हो गई, जबकि उसका शरीर भाप बनकर उड़ गया। यही अनुभूति लेखक को हिरोशिमा का वास्तविक भोक्ता बना गई।

प्रश्न 3. मैं क्यों लिखता हूँ? के आधार पर बताइए कि-

  1. लेखक को कौन-सी बातें लिखने के लिए प्रेरित करती हैं?
  2. किसी रचनाकार के प्रेरणा स्रोत किसी दूसरे को कुछ भी रचने के लिए किस तरह उत्साहित कर सकते हैं?
उत्तर ३- लेखक को यह जानने की प्रेरणा लिखने के लिए प्रेरित करती है कि वह आखिर लिखता क्यों है। यह उसकी पहली प्रेरणा है। स्पष्ट रूप से समझना हो तो लेखक दो कारणों से लिखता है-

  1. भीतरी विवशता से। कभी-कभी कवि के मन में ऐसी अनुभूति जाग उठती है कि वह उसे अभिव्यक्त करने के लिए व्याकुल हो उठता है।
  2. कभी-कभी वह संपादकों के आग्रह से, प्रकाशक के तकाजों से तथा आर्थिक लाभ के लिए भी लिखता है। परंतु दूसरा कारण उसके लिए जरूरी नहीं है। पहला कारण अर्थात् मन की व्याकुलता ही उसके लेखन का मूल कारण बनती है।
प्रश्न 4. कुछ रचनाकारों के लिए आत्मानुभूति/स्वयं के अनुभव के साथ-साथ बाह्य दबाव भी महत्त्वपूर्ण होता है। ये बाह्य दबाव कौन-कौन से हो सकते हैं?
उत्तर ४- लेखन में कई बाहरी दबाव भी कार्य करते हैं। इनमें सामाजिक परिस्थितियाँ, आर्थिक लाभ की आवश्यकता, संपादकों और प्रकाशकों का आग्रह, और विशेष विचारधारा के समर्थन का दबाव शामिल हैं। इन कारणों से लेखक प्रेरित होकर लिखता है। बाहरी दबावों के बावजूद, सच्चे लेखन की प्रेरणा अंतःप्रेरणा से ही उत्पन्न होती है।

प्रश्न 5. क्या बाह्य दबाव केवल लेखन से जुड़े रचनाकारों को ही प्रभावित करते हैं या अन्य क्षेत्रों से जुड़े कलाकारों को भी प्रभावित करते हैं, कैसे?
उत्तर ५- हर प्रकार के कलाकारों पर बाहरी दबाव काम करता है। अभिनेता, गायक, नर्तक दर्शकों की माँग पर प्रदर्शन करते हैं। उदाहरण के लिए, अमिताभ बच्चन या लता मंगेशकर जैसे कलाकार प्रशंसकों और आयोजकों के आग्रह पर सक्रिय रहते हैं। बाहरी दबाव उनके कला प्रदर्शन को जीवित रखता है, भले ही वे आराम करना चाहें।

प्रश्न 6. हिरोशिमा पर लिखी कविता लेखक के अंतः व बाह्य दोनों दबाव का परिणाम है, यह आप कैसे कह सकते हैं?

उत्तर ६- हिरोशिमा पर लिखी कविता लेखक की गहन अनुभूति का परिणाम है। उसने विस्फोट के पीड़ितों और पत्थर पर अंकित छाया को देखा। यह दृश्य उसके हृदय में विस्फोट की त्रासदी बनकर समा गया। यह भीतरी अनुभूति कविता के रूप में अभिव्यक्त हुई। बाहरी दबाव मात्र इतना था कि लेखक ने जापान से लौटने पर कुछ नहीं लिखा था, जो उसे लिखने के लिए प्रेरित कर गया।

प्रश्न 7. हिरोशिमा की घटना विज्ञान का भयानकतम दुरुपयोग है। आपकी दृष्टि में विज्ञान का दुरुपयोग कहाँ-कहाँ किस तरह से हो रहा है।
उत्तर ७- विज्ञान का दुरुपयोग आज जानलेवा कार्यों में हो रहा है। आतंकवादी विस्फोट, गगनचुंबी इमारतों पर हमले, और देशों पर आक्रमण इसके उदाहरण हैं। इराक पर अमेरिका का हमला और पर्यावरण में बढ़ता प्रदूषण भी विज्ञान के गलत उपयोग के परिणाम हैं। भ्रूण-परीक्षण और कीटनाशकों का उपयोग जनसंख्या असंतुलन और स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा रहा है।

प्रश्न 8.
एक संवेदनशील युवा नागरिक की हैसियत से विज्ञान का दुरुपयोग रोकने में आपकी क्या भूमिका है?

उत्तर ८- विज्ञान के दुरुपयोग को रोकने में हमें सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। मैं लोगों को प्रदूषण के खतरों और प्लास्टिक के उपयोग से बचने के लिए जागरूक करूँगा। भ्रूण-हत्या रोकने और लिंगानुपात सुधारने के लिए अभियान चलाऊँगा। अश्लील कार्यक्रमों का विरोध और समाजोपयोगी कार्यक्रमों के प्रसारण का समर्थन करूँगा। विज्ञान को मानवता की भलाई के लिए इस्तेमाल करने की आवश्यकता पर जोर दूँगा।


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पिछली कक्षा से लेकर सीख  फिर कुछ नया सीखने आते हैं  इतनी ख़ुशी, इतनी उमंग  खूब उत्साह दिखाते हैं  गिरते हैं - उठते हैं  हम आगे बढ़ते जाते हैं  हम आगे बढ़ते जाते हैं  अब नई कक्षा होगी, नए दोस्त बनाएँगे  कभी साथ खेलेंगे, तो कभी रूठ जाएँगे  कक्षा में चलो रोज़ नए करतब दिखाते हैं  गिरते हैं - उठते हैं  हम आगे बढ़ते जाते हैं  हम आगे बढ़ते जाते हैं  नई-नई किताबें, नई कॉपियाँ भी लाए हैं  हम रोज़ नए-नए प्रयास करने आये हैं  खुद सीखकर हम दोस्तों को भी सिखाते हैं  गिरते हैं - उठते हैं  हम आगे बढ़ते जाते हैं  हम आगे बढ़ते जाते हैं  नए सत्र की शुरुआत में हम सब एक वादा करेंगे  इस बार पिछली बार से पढ़ाई थोड़ी ज़्यादा करेंगे  एक दूसरे की मदद कर सबको साथ चलाते हैं  गिरते हैं - उठते हैं  हम आगे बढ़ते जाते हैं  हम आगे बढ़ते जाते हैं IG- poetry_by_heartt my website twitter linkedin

Class VII, Ch 8 Raheem ke dohe

पाठ 8 रहीम के दोहे  कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत। बिपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत।। भावार्थ - प्रस्तुत दोहे में रहीम जी कहते हैं कि जब इंसान के पास संपत्ति होती है तब उसके बहुत सारे मित्र और नाते-रिश्तेदार बनते हैं। किंतु सच्चे मित्र और सच्चे अपनों की पहचान तो तब होती है जब विपत्ति आती है। विपत्ति के समय को साथ देते हैं वे ही सच्चे मित्र तथा सच्चे अपने होते हैं। जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह। रहिमन मछरी नीर को, तऊ न छाँड़ति छोह॥ भावार्थ-   प्रस्तुत दोहे में रहीम जी मछली और जल के प्रेम के विषय में बताते हैं। वे कहते हैं कि जब पानी में जाल डाला जाता है तो कष्ट देख कर जल मछली का मोह छोड़कर जाल से बाहर निकल जाता है किंतु मछली जल से बिछड़ना सहन नहीं कर पाती और जल से बिछड़ते ही मर जाती हैं।  तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियत न पान।  कहि रहीम परकाज हित, संपति-संचहि सुजान॥ भावार्थ-    प्रस्तुत दोहे में रहीम जी परोपकार के महत्त्व को बताते हुए कहते हैं कि पेड़ अपने फल स्वयं नहीं खाते हैं तथा सरोवर (नदियाँ, तालाब) अपना जल स्वयं नहीं पीती हैं। वैसे ह...

हम सभी किताबें हैं

हम सभी हैं किताबें किताबें, ढेरों पन्नों को खुद में संजोए हुए कुछ खुले पन्ने तो कुछ के बीज मन में बोए हुए हम हैं किताबें मगर पाठक भी हैं हममें हैं ढेरों किस्से, भिन्न लिखावट भी है कुछ पन्नों पर गहरी स्याही से लिखे हैं हमारे गम, हमारे डर, हमारी खामोशी की वजह कुछ पर स्याही उड़ने लगी है लेकर हमारी मुस्कुराहट और सुहानी सुबह कुछ खाली पन्ने लिए हम सभी इंतज़ार में हैं हमें पढ़कर समझ सके कोई उसके इश्तेहार में हैं कोई लेकर अपनी स्याही में खुशियों के रंग बिखेर दे कुछ पन्नों पर अपने पन्नों के संग हम सभी हैं किताबें हमें खुद को पढ़ना है, हर पन्ने पर अपनी मर्ज़ी का हर्फ़ लिखना है हम सभी हैं किताबें ये याद रखना है

Class 7, Chapter 7, पाठ 7 अपूर्व अनुभव

 Class 7, Chapter 7, पाठ 7 अपूर्व अनुभव  पाठ 7 अपूर्व अनुभव   प्रश्न 1. यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाने के लिए तोत्तो-चान ने अथक प्रयास क्यों किया ? लिखिए ।   उत्तर 1. यासुकी-चान तोत्तो-चान का प्रिय मित्र था । वह पोलियोग्रस्त था , इसलिए वह पेड़ पर नहीं चढ़ सकता था , जबकि जापान के शहर तोमोए में हर बच्चे का एक निजी पेड़ था , लेकिन यासुकी-चान ने शारीरिक अपंगता के कारण किसी पेड़ को निजी नहीं बनाया था । तोत्तो-चान की अपनी इच्छा थी कि वह यासुकी-चान को अपने पेड़ पर आमंत्रित कर दुनिया की सारी चीजें दिखाए । यही कारण था कि उसने यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाने के लिए अथक प्रयास किया ।   प्रश्न 2 . दृढ़ निश्चय और अथक परिश्रम से सफलता पाने के बाद तोत्तो-चान और यासुकी-चान को अपूर्व अनुभव मिला , इन दोनों के अपूर्व अनुभव कुछ अलग-अलग थे । दोनों में क्या अंतर रहे ? लिखिए ।    उत्तर- 2 . इन दोनों के अपूर्व अनुभव का अंतर निम्न रूप में कह ...