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Class 10 Hindi, पाठ 5 नागार्जुन-

Class 10 Hindi, पाठ 5 नागार्जुन 


यह दंतुरित मुस्कान  पाठ सार

“ यह दंतुरित मुसकान ” कविता के कवि नागार्जुन जी हैं। इस कविता के माध्यम से कवि ने उस नन्हे बच्चे की मन को मोह लेने वाली मुस्कान जिसमें कोई छल नहीं है और न ही कोई कपट मात्र है , उस का बहुत खूबसूरती से वर्णन किया है , जिसके अभी – अभी दूध के दांत निकलने शुरू हुए हैं। क्योंकि कवि काफी लम्बे समय के बाद अपने घर लौटे हैं और उनकी मुलाकात उनके 6 से 8 महीने के बच्चे से पहली बार हो रही हैं। इसीलिए कवि अपने उस नन्हे बच्चे की मन को मोह लेने वाली मुस्कान को देखकर वे कहते हैं कि अगर उसकी इस मुस्कान को कोई पत्थर हृदय वाला व्यक्ति भी देख ले तो , वह भी उसे प्यार किए बिना नहीं रह पाएगा और बच्चे की यह मन को मोह लेने वाली मुस्कान जीवन की कठिनाइयों व परेशानियों से निराश – हताश हो चुके व्यक्तियों को भी एक नई प्रेरणा दे सकती हैं। कवि को उस नन्हे बच्चे को देखकर ऐसा लग रहा है जैसे कमल का फूल किसी तालाब में खिलने के बजाय उसके घर के आंगन में ही खिल आया हो और कवि को ऐसा प्रतीत होता है कि उसको छू लेने मात्र भर से ही बांस या बबूल के पेड़ से शेफालिका के फूल गिरने लगेंगे। क्योंकि कवि अपने नवजात बच्चे से पहली बार मिल रहे हैं तो बच्चा अपने पिता यानि कवि को पहचान नहीं पाता है लेकिन कवि को इस बात का कोई अफसोस नहीं है। वह उसकी माँ अर्थात अपनी पत्नी और उसे बच्चे को धन्यवाद देते हुए कहते हैं कि अगर तुम्हारी माँ न होती तो तुम इस धरती पर कैसे आते और मैं तुमसे कैसे मिल पाता यानि तुम्हारी माँ ही तुम्हें इस धरती पर लाई और तुम्हारा मुझसे मिलन करवाया।  जिसके लिए मैं तुम दोनों को धन्यवाद देता हूँ। कवि अपने काम से अक्सर अपने घर से दूर रहते हैं। इसीलिए बच्चा कवि को अपना पिता न समझ कर एक मेहमान समझ रहा है और पहचानने की कोशिश में उन्हें लगातार देखे जा रहा है।  लेकिन कवि उसके मुंह में आये नए – नए दांतों के बीच खिली मुस्कान को देखकर अपने आप को सम्मोहित सा महसूस कर रहे हैं। 


यह दंतुरित मुस्कान  प्रश्न – अभ्यास ( Question and Answers)

 

प्रश्न 1- बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?

उत्तर – कवि अपने बच्चे की दंतुरित मुसकान को देख कर अंदर तक अत्यधिक प्रसन्न हो जाता है। उसे लगता है उस मुसकान ने कवि में एक नए जीवन का संचार कर दिया है। कवि उस छोटे बच्चे की मुस्कान को अपने जीवन की सुंदरता बताते हैं और उस छोटे बच्चे की मुस्कराहट को इतना प्रभावशाली बताते हैं कि अगर कोई कठोर हृदय वाला व्यक्ति भी उसकी मुस्कराहट को देख ले तो वह भी अपने आप को मुस्कुराने से नहीं रोक पाएगा। कवि बताते हैं कि इस छोटे – छोटे नए दाँतों वाली मुस्कराहट की मोहकता तब और बढ़ जाती है जब उसके साथ नज़रों का तिरछापन जुड़ जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि जब कोई बालक किसी व्यक्ति को नहीं पहचानता है तो उसे सीधी नज़रों से नहीं देखता , लेकिन एक बार पहचान लेने के बाद वो उसे टकटकी लगाकर देखता रहता है। कवि को ऐसा लगता है जैसे कि वह उस बच्चे की सुंदरता को देखकर वह धन्य हो गया है। क्योंकि अपने काम के कारण कवि काफी लम्बे समय तक अपने घर से दूर रहता था और उसका व्यवहार भी अत्यधिक कठोर हो गया था। लेकिन बच्चे की दंतुरित मुसकान को देखकर न केवल कवि के व्यवहार में परिवर्तन आया बल्कि अब कवि का मन घर पर लगने लगा है।

प्रश्न 2 – बच्चे की मुसकान और एक बड़े व्यक्ति की मुसकान में क्या अंतर है ?

उत्तर – बच्चे की मुसकान हमेशा निश्छल होती है। अर्थात बच्चे किसी भी प्रकार का छल – कपट नहीं जानते , उनकी मुस्कराहट को देख कर हर किसी का मन खुशियों से भर उठता है। इसके विपरीत बड़ों की मुसकान में कई अर्थ छिपे हो सकते हैं। कभी – कभी यह मुसकान कुटिल हो सकती है , तो कभी किसी उम्मीद से भरी हो सकती है। ऐसा बहुत कम होता है कि किसी वयस्क की मुसकान उतनी निश्छल हो जितनी कि किसी बच्चे की।

प्रश्न 3 – कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को किन – किन बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है ?

उत्तर – कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को निम्नलिखित बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है

  • कवि को लगता है कि कमल तालाब छोड़कर इसकी झोपड़ी में खिल गये हैं।
  • ऐसा लगता है जैसे पत्थर पिघलकर जलधारा के रूप में बह रहे हों।
  • बाँस या बबूल से शेफालिका के फूल झरने लगे हों।

प्रश्न 4 – भाव स्पष्ट कीजिए 

( क ) छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात।

उत्तर – बच्चे के धूल से सने हुए नन्हें तन को जब कवि देखता है तो ऐसा लगता है कि मानों कमल के फूल तालाब को छोङकर उसकी झोंपङी में खिल उठते हो। कहने का आशय यह है कि बच्चे के धूल से सने हुए नन्हें से तन को निहारने पर कवि का मन कमल के फूल के समान खिल उठा है अर्थात् प्रसन्न हो गया है।

( ख ) छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल

बाँस था कि बबूल?

उत्तर –  कवि को ऐसा लगता है कि उनके उस छोटे से बच्चे के निश्छल चेहरे में वह जादू है कि उसको छू लेने से बाँस या बबूल से भी शेफालिका के फूल गिरने लगते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि जीवन की विपरीत परिस्थितियों के कारण कवि का मन बाँस और बबूल की भाँति शुष्क और कठोर हो गया था। बच्चे की मधुर मुस्कराहट को देखकर उसका मन अथवा स्वभाव भी पिघल कर शेफालिका के फूलों की भाँति सरस और सुंदर हो गया है।

फसल पाठ सार

” फसल ” कविता के कवि ” नागार्जुन ” जी हैं। अलग – अलग नदियों का पानी जब भाप बनकर उड़ता है तो वो आकाश में बादल के रूप में परिवर्तित हो जाता है। और फिर वही बादल बरस कर धरती पर पानी के रूप में वापस आ जाते हैं। जिससे फसलों को भरपूर पनपने का मौका मिलता हैं। फसल को तैयार होने में किन – किन चीज़ों की आवश्यकता होती है , उनका वर्णन कर रहे हैं। कवि कहते हैं कि एक या दो नहीं बल्कि अनेक नदियों का पानी अपना जादुई असर दिखाता है , तब जाकर फसल पैदा होती हैं। एक नहीं दो नहीं बल्कि लाखों – करोड़ों हाथों के अथक परिश्रम का परिणाम से एक अच्छी फसल तैयार होती है। अर्थात हजारों खेतों पर दुनिया भर के लाखों – करोड़ों किसान दिन रात मेहनत करते हैं। एक या दो नहीं बल्कि हजारों खेतों की उपजाऊ मिट्टी के पोषक तत्व भी इन फसलों के अंदर छुपे हुए हैं। क्योंकि मिट्टी की विशेषताएं भी फसलों की गुणवत्ता को प्रभावित करती है। यानी मिट्टी से मिलने वाले जरूरी पोषक तत्व फसलों के लिए जरूरी होते हैं और अलग – अलग तरह की फसलों को उगाने के लिए अलग – अलग तरह की  मिट्टी व उसके गुण आवश्यक होते हैं। किसान की मेहनत के साथ – साथ पानी भी आवश्यक है। साथ में मिट्टी का गुणवत्तापूरक भी जरूरी है। क्योंकि मिट्टी की विशेषताओं के अनुसार ही फसल पैदा होती है। अलग-अलग तरह की मिट्टी में अलग – अलग तरह के पोषक तत्व व गुण पाए जाते हैं जिससे अनुसार अलग-अलग तरह की फसलों को पैदा किया जा सकता है। पौधों को बढ़ने के लिए सूरज की किरणें व कार्बन डाइऑक्साइड गैस भी आवश्यक है क्योंकि सूरज की रोशनी में ही ये पौधे मिट्टी से जरूरी पोषक तत्व , पानी व हवा से कार्बन डाइऑक्साइड गैस लेकर अपना भोजन बनाते हैं। जिसे प्रकाश संश्लेषण ( Photosynthesis) कहा जाता हैं। कवि पहले तो प्रश्न पूछते हैं कि फसल क्या हैं ? फिर उसी प्रश्न का उत्तर देते हुए कहते हैं कि नदियों के पानी का जादू फसल के रूप दिखाई देता हैं क्योंकि बिना पानी के फसल का उगना नामुकिन हैं। करोड़ों किसानों की दिन – रात की मेहनत का नतीजा फसल के रूप में मिलता हैं। भूरी , काली व खुशबूदार हल्की पीली मिट्टी यानि अलग –  अलग प्रकार की मिट्टी के पोषक तत्व और सूरज की किरणें भी अपना रूप बदल कर इन फसलों के अंदर समाहित रहती हैं। क्योंकि सूरज की रोशनी और हवा में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड गैस को अवशोषित कर ही पौधे अपनी पत्तियों के दवारा भोजन बनाते हैं। अच्छी तरह से फसलों को फलने फूलने के लिए किसान की मेहनत के साथ – साथ पानी , मिट्टी का गुणवत्तापूरक , अलग – अलग तरह की मिट्टी में अलग- अलग तरह के पोषक तत्व , पौधों को बढ़ने के लिए सूरज की किरणें व कार्बन डाइऑक्साइड गैस आदि की आवश्यकता होती है। करोड़ों किसानों की दिन- रात की मेहनत , नदियों के पानी का जादू , भूरी , काली व खुशबूदार मिट्टी यानि अलग – अलग प्रकार की मिट्टी के पोषक तत्व और सूरज की किरणें भी अपना रूप बदल कर इन फसलों के अंदर समाहित रहती हैं।


फसल प्रश्न – अभ्यास ( Question and Answers )

प्रश्न 1 – कवि के अनुसार फसल क्या है ?

उत्तर – कवि के अनुसार नदियों के पानी का जादू फसल के रूप दिखाई देता हैं क्योंकि बिना पानी के फसल का उगना नामुकिन हैं। करोड़ों किसानों की दिन – रात की मेहनत का नतीजा फसल के रूप में मिलता हैं। भूरी , काली व खुशबूदार हल्की पीली मिट्टी यानि अलग –  अलग प्रकार की मिट्टी के पोषक तत्व और सूरज की किरणें भी अपना रूप बदल कर इन फसलों के अंदर समाहित रहती हैं। क्योंकि सूरज की रोशनी और हवा में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड गैस को अवशोषित कर ही पौधे अपनी पत्तियों के दवारा भोजन बनाते हैं। असल में संक्षेप में कहा जाए तो फसल करोड़ों किसानों की लगन व मेहनत का नतीजा , नदियों के पानी का जादू  , मिट्टी में पाए जाने वाले जरूरी अवयव , सूर्य की किरणें व हवा में पायी जाने वाली कार्बन डाइऑक्साइड गैस के मिलन का नतीजा है।

प्रश्न 2 – कविता में फसल उपजाने के लिए आवश्यक तत्वों की बात कही गई है। वे आवश्यक तत्व कौन – कौन से हैं ?

उत्तर- किसान की मेहनत के साथ – साथ पानी , मिट्टी का गुणवत्तापूरक , अलग – अलग तरह की मिट्टी में अलग- अलग तरह के पोषक तत्व , पौधों को बढ़ने के लिए सूरज की किरणें व कार्बन डाइऑक्साइड गैस आदि की आवश्यकता होती है। करोड़ों किसानों की दिन- रात की मेहनत , नदियों के पानी का जादू , भूरी , काली व खुशबूदार मिट्टी यानि अलग – अलग प्रकार की मिट्टी के पोषक तत्व और सूरज की किरणें भी अपना रूप बदल कर इन फसलों के अंदर समाहित रहती हैं। ये सभी फसल उगाने के लिए बहुत आवश्यक हैं।

प्रश्न 3 – फसल को “ हाथों के स्पर्श की गरिमा ” और “ महिमा ” कहकर कवि क्या व्यक्त करना चाहता है?

उत्तर – “ हाथों के स्पर्श की गरिमा ” और “ महिमा ” कहकर कवि किसान की अथक मेहनत को सम्मानित करते हैं। क्योंकि किसान की लगन व कठिन परिश्रम के बिना खेतों में फसल नहीं उग सकती हैं। फसल के फलने – फूलने में एक या दो नहीं बल्कि लाखों – करोड़ों किसानों के हाथों के स्पर्श की गरिमा विद्यमान होती है। कवि कहते हैं कि मिट्टी और पानी के पोषक तत्व तथा सूरज की उर्जा भी तभी सार्थक होती है , जब किसानों के हाथों का स्पर्श इसे गरिमा प्रदान करता हैं।

प्रश्न 4 – भाव स्पष्ट कीजिए ?

“ रूपांतर है सूरज की किरणों का
सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का ! ”

उत्तर – भोजन बनाने के लिए पौधों को सूरज की रोशनी व हवा की आवश्यकता होती है। सूरज की किरणें भी अपना रूप बदल कर इन फसलों के अंदर समाहित रहती हैं। क्योंकि सूरज की रोशनी और हवा में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड गैस को अवशोषित कर ही पौधे अपनी पत्तियों के दवारा भोजन बनाते हैं। जिसे कविता में कवि ने सूरज की किरणों का परिवर्तित रूप और हवा की भावों के साथ पैरों को उठाते , गिराते एवं हिलाते हुए नाचने का नाम दिया हैं। इसीलिए कवि कहते हैं कि एक ओर जहाँ सूरज की किरणें अपना रूप बदल कर इन फसलों के अंदर समाहित है वही दूसरी ओर हवा की थिरकन भी इन पौधों को फलने – फूलने में मदद करती हैं।

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