सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Class 7 Hindi Revision Test (पाठ हिमालय की बेटियाँ तथा भाषा और व्याकरण)

 Class 7 Hindi Revision Test (पाठ हिमालय की बेटियाँ तथा भाषा और व्याकरण)

 

पुनरावृत्ति परीक्षा- II   

कक्षा VII हिंदी                                                                          कुल अंक- 15 



1. निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर उत्तर दें-                                                               3x1=3 

(i) लेखक को समतल मैदान में नदियाँ कैसी दिखाई दीं? 

(अ) छोटी                                                  (ब) विशाल  

(स) लंबी                                                   (द) चौड़ी  

(ii) किसका प्रेम पाकर भी नदियों का हृदय अतृप्त है? 

(अ) हिमालय का                                          (ब) सागर का  

(स) मनुष्यों का                                            (द) आकाश का  

(iii) लेखक किस देश में सतलुज के किनारे बैठा था? 

(अ) भारत                                                    (ब) नेपाल  

(स) पाकिस्तान                                              (द) तिब्बत  


2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें-                                                                                       3x2=6 

(i) पाठहिमालय की बेटियाँ' में समुद्र को भाग्यशाली कयों कहा गया है? 

(ii) काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता क्यों कहा है? 

(iii) लेखक ने हिमालय की बेटियाँ किसे कहा है? और क्यों? 


(व्याकरण से) 

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें-                                                                          2x2=4 

(i) भाषा किसे कहते हैं? 

(ii)व्याकरण के कितने अंग होते हैं? नाम लिखिए 


4. निम्नलिखित भाषाएँ किस लिपि में लिखी जाती हैं?                                                 4x0.5=2 

(i) हिंदी ________ (ii) जर्मन _________ 

(iii) उर्दू _________ (iv) पंजाबी _________ 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

गणतंत्र दिवस कविता

देश के प्रत्येक नागरिक को गणतंत्र दिवस की बधाई। गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में मैं प्रस्तुत कर रही हूँ एक कविता-  जल रही थी चिंगारी जाने कितने बरसों से  कर रहे थे यत्न वीर जाने कितने अरसों से  आँखें क्रुद्ध, भीषण युद्ध, ब्रिटिश विरुद्ध जाने कितनी बार हुए.... माताओं की गोदी सूनी कर  जाने कितने बेटे संहार हुए  वीरों के बलिदानों से माँ भारती  बेड़ियाँ मुक्त हुई  फिर केसरिया-सफ़ेद-हरा लहरा  माँ भारती तिरंगा युक्त हुई  स्वतंत्र हुई, स्वराज्य मिला किंतु  स्वशासन अभी अधूरा था  जिसे 2 वर्ष, 11 माह 18 दिन में  अम्बेडकर जी ने किया पूरा था  फिर संविधान लागू कर लोकतंत्र का 'गुंजन' हुआ  आज इसी दिन गणराज्य बना आज ही गणतंत्र हुआ आज इसी दिन गणराज्य बना आज ही गणतंत्र हुआ    सभी को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ तथा सभी वीरों/ शहीदों को श्रद्धांजलि अन्य कविताएँ IG- poetry_by_heartt twitter

भाईचारा। कविता।

भाईचारा  ऐसा सुंदर, ऐसा प्यारा देश हमारा हो  मिल जुल रहते हों सब, आपस में भाईचारा हो  अलग होते हुए भी सबमें  एकता की भावना समाई हो  जब नन्हे नंदू के घर दिवाली आए  तो भोले हामिद के घर भी मिठाई हो  मंदिर-मस्जिद-गिरजाघर-गुरुद्वारों ने  हमारा हर दिन, हर सवेरा सँवारा हो  मिल जुल रहते हों सब, आपस में भाईचारा हो  अगर कभी विद्यालय में छोटा चंदन  खाना लाना भूल जाता हो  अच्छी सुगंध, मीठे पकवानों वाला  दोस्तों का टिफ़िन पाता हो  हर छोटी-बड़ी चुनौतियों में  सुझाव कभी मेरा, कभी तुम्हारा हो  मिल जुल रहते हों सब, आपस में भाईचारा हो  बाज़ार से आते-आते कभी पापा  भारी झोला-टोकरी लाते हों  उनकी मदद करने को वहाँ  सब प्यारे बच्चे चले आते हों  रास्ते में देख प्यासा किसी को  पानी पिला खुशियों का खुलता पिटारा हो  मिल जुल रहते हों सब, आपस में भाईचारा हो  Instagram:gunjanrajput youtube:gunjanrajput pratilipi:gunjanrajput twitter:gunjanrajput

पत्र- औपचारिक तथा अनौपचारिक

औपचारिक पत्र  1. बुखार के कारण विद्यालय से 4 दिन के अवकाश के लिए अवकाश पत्र।  सेवा में  प्रधानाचार्या जी वेंकटेश्वर सिग्नेचर स्कूल रायपुर  छत्तीसगढ़  493441 25-08-2022 विषय- चार दिन के अवकाश हेतु।  आदरणीया महोदया, मेरा नाम नेहा शर्मा है। मैं कक्षा 3 में पढ़ती हूँ। मुझे कुछ दिनों से बुखार है। डॉक्टर ने मुझे आराम करने की सलाह दी है। जिसके लिए मुझे विद्यालय से अवकाश की आवश्यकता है।  मैं आपको आश्वासन देती हूँ कि मैं अवकाश के बाद शीघ्र ही अपना कार्य पूरा कर लूँगी।अतः मुझे 26 अगस्त 2022 से 29 अगस्त 2022 (चार दिन) का अवकाश देने की कृपा करें। आपकी अति कृपा होगी।  सधन्यवाद  आपकी छात्रा  नेहा शर्मा  कक्षा 3 अनौपचारिक पत्र  अपने भाई की शादी में बुलाने के लिए अपने मित्र को निमंत्रण पत्र  44/808 कमल विहार  नई दिल्ली  प्रिय मित्र,               कैसे हो? तथा घर में सब कैसे हैं? मैं सपरिवार कुशल से हूँ और आशा करता हूँ कि तुम भी सपरिवार सकुशल होंगे। मित्र अगले महीने की 25 तारीख को भैया...

हम आगे बढ़ते जाते हैं

पिछली कक्षा से लेकर सीख  फिर कुछ नया सीखने आते हैं  इतनी ख़ुशी, इतनी उमंग  खूब उत्साह दिखाते हैं  गिरते हैं - उठते हैं  हम आगे बढ़ते जाते हैं  हम आगे बढ़ते जाते हैं  अब नई कक्षा होगी, नए दोस्त बनाएँगे  कभी साथ खेलेंगे, तो कभी रूठ जाएँगे  कक्षा में चलो रोज़ नए करतब दिखाते हैं  गिरते हैं - उठते हैं  हम आगे बढ़ते जाते हैं  हम आगे बढ़ते जाते हैं  नई-नई किताबें, नई कॉपियाँ भी लाए हैं  हम रोज़ नए-नए प्रयास करने आये हैं  खुद सीखकर हम दोस्तों को भी सिखाते हैं  गिरते हैं - उठते हैं  हम आगे बढ़ते जाते हैं  हम आगे बढ़ते जाते हैं  नए सत्र की शुरुआत में हम सब एक वादा करेंगे  इस बार पिछली बार से पढ़ाई थोड़ी ज़्यादा करेंगे  एक दूसरे की मदद कर सबको साथ चलाते हैं  गिरते हैं - उठते हैं  हम आगे बढ़ते जाते हैं  हम आगे बढ़ते जाते हैं IG- poetry_by_heartt my website twitter linkedin

मेरी गूँज (गुंजन राजपूत)

  मेरी गूँज (उपन्यास/NOVEL) 'मेरी गूँज' एक ऐसा उपन्यास जिसे पढ़ने वाला लगभग हर व्यक्ति अपनी झलक देख सकता है।  For oder fill fill the link below मेरी गूँज (गुंजन राजपूत) Meri goonj written by Gunjan Rajput

Class VII, Ch 8 Raheem ke dohe

पाठ 8 रहीम के दोहे  कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत। बिपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत।। भावार्थ - प्रस्तुत दोहे में रहीम जी कहते हैं कि जब इंसान के पास संपत्ति होती है तब उसके बहुत सारे मित्र और नाते-रिश्तेदार बनते हैं। किंतु सच्चे मित्र और सच्चे अपनों की पहचान तो तब होती है जब विपत्ति आती है। विपत्ति के समय को साथ देते हैं वे ही सच्चे मित्र तथा सच्चे अपने होते हैं। जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह। रहिमन मछरी नीर को, तऊ न छाँड़ति छोह॥ भावार्थ-   प्रस्तुत दोहे में रहीम जी मछली और जल के प्रेम के विषय में बताते हैं। वे कहते हैं कि जब पानी में जाल डाला जाता है तो कष्ट देख कर जल मछली का मोह छोड़कर जाल से बाहर निकल जाता है किंतु मछली जल से बिछड़ना सहन नहीं कर पाती और जल से बिछड़ते ही मर जाती हैं।  तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियत न पान।  कहि रहीम परकाज हित, संपति-संचहि सुजान॥ भावार्थ-    प्रस्तुत दोहे में रहीम जी परोपकार के महत्त्व को बताते हुए कहते हैं कि पेड़ अपने फल स्वयं नहीं खाते हैं तथा सरोवर (नदियाँ, तालाब) अपना जल स्वयं नहीं पीती हैं। वैसे ह...

कक्षा 7 हिंदी बाल महाभारत

 बाल महाभारत समसामयिकी परीक्षा- I (24-25) प्रश्न -1   किसने राजा शांतनु को अपने सौंदर्य और नवयौवन से मोह लिया? उत्तर -   गंगा ने राजा शांतनु को अपने सौंदर्य और नवयौवन से मोह लिया ।   प्रश्न -2    पैदा होते ही गंगा अपने पुत्रों से साथ क्या किया करती थी? उत्तर -   पैदा होते ही गंगा अपने पुत्रों को नदी की बहती हुई धारा में फेंक दिया करती थी ।   प्रश्न -3   गंगा को पुत्रों को नदी में फेंकता देख कर भी राजा शांतनु कुछ क्यों नहीं कर पाते थे? उत्तर  -   राजा शांतनु ने गंगा को वचन दिया था जिसके कारण वह सब कुछ देखकर भी मन मसोस कर रह जाते थे ।   प्रश्न -4    गंगा राजा शांतनु को छोड़ कर वापस क्यों चली गई? उत्तर  -   राजा शांतनु ने गंगा को अपने आंठवे बच्चे को फेंकने से रोक कर अपना वचन तोड़ दिया था इसलिए गंगा उन्हें छोड़ कर वापस चली गयी ।   प्रश्न -5    भीष्म पितामह कौन थे? उत्तर  -   गंगा और राजा शांतनु के आंठवे पुत्र देवव्रत थे जो आगे चलकर भीष्म पितामह के नाम से विख्यात हुए । प्रश्न -6  ...

Class 7, Chapter 7, पाठ 7 अपूर्व अनुभव

 Class 7, Chapter 7, पाठ 7 अपूर्व अनुभव  पाठ 7 अपूर्व अनुभव   प्रश्न 1. यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाने के लिए तोत्तो-चान ने अथक प्रयास क्यों किया ? लिखिए ।   उत्तर 1. यासुकी-चान तोत्तो-चान का प्रिय मित्र था । वह पोलियोग्रस्त था , इसलिए वह पेड़ पर नहीं चढ़ सकता था , जबकि जापान के शहर तोमोए में हर बच्चे का एक निजी पेड़ था , लेकिन यासुकी-चान ने शारीरिक अपंगता के कारण किसी पेड़ को निजी नहीं बनाया था । तोत्तो-चान की अपनी इच्छा थी कि वह यासुकी-चान को अपने पेड़ पर आमंत्रित कर दुनिया की सारी चीजें दिखाए । यही कारण था कि उसने यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाने के लिए अथक प्रयास किया ।   प्रश्न 2 . दृढ़ निश्चय और अथक परिश्रम से सफलता पाने के बाद तोत्तो-चान और यासुकी-चान को अपूर्व अनुभव मिला , इन दोनों के अपूर्व अनुभव कुछ अलग-अलग थे । दोनों में क्या अंतर रहे ? लिखिए ।    उत्तर- 2 . इन दोनों के अपूर्व अनुभव का अंतर निम्न रूप में कह ...

अलंकार

 अलंकार की परिभाषा  अलंकार का शाब्दिक अर्थ होता है- आभूषण। जिस प्रकार किसी व्यक्ति की शोभा उसके धारण किए हुए आभूषणों से होती है उसी प्रकार किसी भी काव्य की शोभा काव्य द्वारा धारण किए हुए आभूषणों से होती है।  अर्थात् इसे दूसरे शब्दों में ऐसे समझ सकते हैं कि भाषा में पदों की तथा अर्थों की सुंदरता बढ़ाने वाले साधन को अलंकार कहते हैं। अथवा शब्दों अथवा अर्थों को अलंकृत करने वाली वस्तु अलंकार कहलाती है।  अलंकार के भेद  अलंकार के दो भेद होते हैं - (i) शब्दालंकार  (ii) अर्थालंकार  किंतु कुछ व्याकरण वेत्ताओं ने अलंकार  के तीन भेद माने हैं- (i) शब्दालंकार  (ii) अर्थालंकार  (iii) उभयालंकार शब्दालंकार - जिस अलंकार से शब्दों के माध्यम से काव्य पदों का सौंदर्य उत्पन्न होता है अथवा काव्य को पढ़ने तथा सुनने में चमत्कार होता है उसे शब्दालंकार कहते हैं। शब्दालंकार की पहचान करने में काव्य के अर्थ का महत्त्व नहीं होता।  शब्दालंकार के भेद-  शब्दालंकार के मुख्य रूप से 3 भेद होते हैं-  (i) अनुप्रास अलंकार  (ii) यमक अलंकार  (iii) श्लेष ...

कक्षा VI हिंदी पाठ योजना (पाठ 1 वह चिड़िया जो)

 कक्षा VI हिंदी पाठ योजना (पाठ 1 वह चिड़िया जो)