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प्यारी पतंग कविता। मकर संक्रांति।

प्यारी पतंग 

सुंदर-सुंदर, प्यारी-प्यारी 

पतंग तुम्हारी, पतंग हमारी 

अभी डोर बाँध इठलाएँगी 

घूमेंगी गगन में न्यारी-न्यारी

ध्यान देना कहीं कट न जाए 

सब कर रहे काई पो चे की तैयारी 

जब तक सुरक्षित उड़ रही 

होगी सिर्फ तुम्हारी ज़िम्मेदारी 

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