तुम लड़की हो इंसान नहीं
आज भी कई लोगों का मानना ये है कि लड़कियों के साथ जो दुष्कर्म होते हैं उनमें लड़कियों की गलती होती है। वो ही लड़कों को हवा देती हैं। इसी पर एक व्यंग्य लिखने का प्रयास👏👏👏
तुम लड़की हो इंसान नहीं
क्यूँ इतना हँसती-मुस्कुराती हो
क्यूँ जीन्स पहन कर बाहर जाती हो
क्यूँ लड़कों को दोस्त बनाती हो
क्यूँ खुद को उनके बराबर का जताती हो
क्यूँ नहीं तुम थोड़ा शर्माती हो
क्यूँ हँस-हँस बाहर चाट खाती हो
क्यूँ खूबसूरत बन कर इठलाती हो
क्यूँ ज्यादा समझदारी दिखाती हो
क्यूँ नहीं तुम खुद को समझाती हो
कि बस एक 'लड़की' हो
'औरत' हो 'नारी' हो तुम
तुम 'आदमी' नहीं, तुम
'इंसान' नहीं जो उनके जैसे
संसार में खुल के जीना चाहती हो
ऐसी इच्छाएँ करोगी अगर
वो तो मचलेंगे न
तुम हवा दोगी अगर
वो तो बहकेंगे न
दुनिया की सलाह मान क्यूँ नहीं लेती
उसे अपने जीवन में ढाल क्यूँ नहीं लेती
समान जीवन पाने की
मूर्खता भरी इच्छा छोड़ क्यूँ नहीं देती
नहीं तो इस जीवन से मुँह मोड़ क्यूँ नहीं लेती
आखिर क्यूँ????
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