पापा और उनकी रसोई
मेरी माँ मेरे पापा दोनों मेरे पिता हैं
बाकी पिताओं से शायद थोड़े से जुदा हैं
माँ-पिता दोनों का अकेले ही करते फ़र्ज़ अदा हैं
हमें खुश रखने की करते कोशिश सदा हैं
मेरी माँ मेरे पापा दोनों मेरे पिता हैं
बाकी पिताओं से शायद थोड़े से जुदा हैं
रसोई में खुद के बनाए पकवानों की सुगंध उन्हें भाती है
हम खा-खा कर अनफिट हो जाएं ये चिंता उन्हें न सताती है
जब जुलाई-अगस्त में रिमझिम-झिमझिम बारिश हो आती है
पापा की तेल से भरी कढ़ाई तभी चूल्हे पर चढ़ जाती है
पापा हर छोटे काम को तुरंत बाज़ार जाया करते हैं
सर्दी का भान होते ही गाजर का हलवा बनाया करते हैं
डायबिटिक हैं पर मीठे से उन्हें कोई खौफ नहीं
बाहर कुछ खाने को दिल करे ऐसे उनके शौक नहीं
गर्मी हो जाए तो रसोई में पसीने में तर खड़े रहते हैं
कुछ ठंडा-गर्म, मनचाहा बनाने को बड़े अड़े रहते हैं
बेटा क्या खाओगे हर वक़्त ये ही सवाल करते हैं
हम कुछ न बताएँ तो मासूम से बवाल करते है
जब करें किसी से बात बड़ी शान से बताया करते हैं
हम बड़े अच्छे हैं बच्चे हरदम ऐसा जताया करते हैं
पिता के रूप में मजबूत तो कभी माँ के रूप में
नर्म हो जाया करते हैं
गलती से भी गर देख लें हमारी आँखों में आँसू तो पापा
गुस्से से गर्म हो जाया करते हैं
उनको बताने को शब्द हैं कम और आँखें थोड़ी नम हैं
जितना चाहे लिख लूँ वो असल से हमेशा बहुत कम है
इसीलिए कहती हूँ कि मेरी माँ मेरे पापा दोनों मेरे पिता हैं
बाकी पिताओं से शायद थोड़े से जुदा हैं
Happy Fathers Day
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