भाव...
भावों की उर गगरी मेंनित नए भाव आते हैं
कुछ ले जाते हैं बरसों पीछे
कुछ भावी सपने सजाते हैं
कुछ होते हैं हँसते हुए-से
अधरों पे मुस्कान बिठाते हैं
कुछ होते हैं युक्त वेदना-से
नयन गीले कर जाते हैं
कुछ होते हैं महफिलों में बसते
एक साथ हाथ बढ़ाते हैं
कुछ तन्हाइयों में पड़े मायूस-से होते
अहसास अकेलेपन का कराते हैं
कुछ होते हैं खिले-खिले से
जीवन को नई दिशा दिखाते हैं
कुछ होते हैं वही परिचित-से
अतीत में रहना सिखाते हैं
कुछ होते हैं समझदार-से
सत्य का भान कराते हैं
लाते हैं जीवन जीने की इच्छा
मंजिल को कदम बढ़ाते हैं
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