हथेलियाँ छोटी और कंधे नाजुक
घर के सपनों का भार उठाते हैं
माँ-बाप, और खानदान की बातें सुन
बेटे पैदा होने से पहले जिम्मेदार बन जाते हैं
आँखें खोलते हैं शब्दों को टटोलते हैं
सुनते हैं 'ये ही कुल को रौशन करेगा'
उसी समय दिल ही दिल में
कुछ तो घबराते हैं
बेटे पैदा होने से पहले जिम्मेदार बन जाते हैं
एक अच्छी नौकरी हो
माँ बाप की पसंद की दुल्हन हो
परिवार से दूर रह कर भी
परिवार के लिए जिए जाते हैं
बेटे पैदा होने से पहले जिम्मेदार बन जाते हैं
बीवी का गुलाम न कह दे कोई
न माँ के पल्लू से बँधा हुआ
खुद को संतुलित जीवन में
साबित करते जाते हैं
बेटे पैदा होने से पहले जिम्मेदार बन जाते हैं
कभी दिल की सुन कोई पसंद आ जाती है
नगमे मुहब्बत के उसके साथ गाते हैं
फिर याद आती है वो मनपसंद दुल्हन की बातें
कई बार मजबूरी में बेवफा बन जाते हैं
बेटे पैदा होने से पहले जिम्मेदार बन जाते हैं
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