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मेरी गूँज (गुंजन राजपूत)

मेरी गूँज (गुंजन राजपूत)

  मेरी गूँज (उपन्यास/NOVEL) 'मेरी गूँज' एक ऐसा उपन्यास जिसे पढ़ने वाला लगभग हर व्यक्ति अपनी झलक देख सकता है।  For oder fill fill the link below मेरी गूँज (गुंजन राजपूत) Meri goonj written by Gunjan Rajput
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Class 10 Hindi Alankar (अलंकार)

 अलंकार  कक्षा १० हिंदी के पाठ्यक्रम में चलने वाले अलंकार हैं- अर्थालंकार- उपमा अलंकार  रूपक अलंकार उत्प्रेक्षा अलंकार अतिशयोक्ति अलंकार मानवीकरण अलंकार 1- उपमा अलंकार  इसमें एक वस्तु या व्यक्ति की तुलना किसी दूसरी वस्तु या व्यक्ति से की जाती है, ताकि उसकी विशेषता को और अधिक स्पष्ट किया जा सके। उपमा अलंकार में उपमेय (जिसकी तुलना की जा रही है) और उपमान (जिससे तुलना की जा रही है) का होना आवश्यक है। साथ ही, तुलना में उपमान वाचक शब्द जैसे ‘जैसे’, ‘समान’, ‘सा/सी’, ‘सम’, ‘प्रति’ आदि का प्रयोग होता है। उपमा अलंकार के मुख्य तत्व उपमेय – जिसकी तुलना की जा रही है। उपमान – जिससे तुलना की जा रही है। वाचक शब्द – ‘जैसे’, ‘समान’, ‘सा/सी’ आदि शब्द। धर्म – वह गुण या विशेषता जिसके कारण तुलना हो रही है। उदाहरण  १- बाल्यकाल के आदित्य जैसा उज्ज्वल चेहरा स्पष्टीकरण- आदित्य अर्थात् सूर्य। किसी के चहरे (मुख) को प्रातः काल के सूर्य के समान उज्ज्वल बताया गया है।    उपमेय  – मुख/ चेहरा  उपमान  – सूर्य  वाचक शब्द  – जैसा  धर्म  – उज्ज्वल  २- कोटि कूलिस सम बचन तुम्हारा  उपमेय  –  बचन  उपमान  – कूलिस  वाचक श

Class 10 Hindi vaachy (वाच्य)

वाच्य- क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि वाक्य में क्रिया द्वारा बताए गए विषय में कर्ता, कर्म, अथवा भाव में से कौन प्रमुख है, उसे वाच्य कहते हैं। दूसरे शब्दों में – वाच्य क्रिया का वह रूप है, जिससे यह ज्ञात होता है कि वाक्य में कर्ता प्रधान है, कर्म प्रधान है अथवा भाव प्रधान है। क्रिया के लिंग एवं वचन उसी के अनुरूप होते हैं। इस परिभाषा के अनुसार वाक्य में क्रिया के लिंग, वचन या तो कर्ता के अनुसार होंगे अथवा कर्म के अनुसार अथवा भाव के अनुसार। वाच्य, क्रिया के उस रूपान्तरण को कहते हैं जिससे यह ज्ञात होता है कि वाक्य में क्रिया कर्ता के साथ है, कर्म के साथ अथवा इन दोनों में से किसी के भी साथ न होकर केवल क्रिया के कार्य व्यापार (भाव) की प्रधानता है। जैसे – राधा पत्र लिखती है। राधा द्वारा पत्र लिखा जाता है। तुमसे लिखा नहीं जाता।   वाच्य के भेद– कर्तृवाच्य  कर्मवाच्य  भाववाच्य कर्तृवाच्य- जब वाक्य की क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष- कर्ता के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार हों, तो कर्तृवाच्य कहलाया जाता है। सरल शब्दों में – क्रिया के जिस रूप में कर्ता प्रधान हो, उसे कर्तृवाच्य कहते हैं। इसमें लि

Class VII, Ch 8 Raheem ke dohe

पाठ 8 रहीम के दोहे  कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत। बिपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत।। भावार्थ - प्रस्तुत दोहे में रहीम जी कहते हैं कि जब इंसान के पास संपत्ति होती है तब उसके बहुत सारे मित्र और नाते-रिश्तेदार बनते हैं। किंतु सच्चे मित्र और सच्चे अपनों की पहचान तो तब होती है जब विपत्ति आती है। विपत्ति के समय को साथ देते हैं वे ही सच्चे मित्र तथा सच्चे अपने होते हैं। जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह। रहिमन मछरी नीर को, तऊ न छाँड़ति छोह॥ भावार्थ-   प्रस्तुत दोहे में रहीम जी मछली और जल के प्रेम के विषय में बताते हैं। वे कहते हैं कि जब पानी में जाल डाला जाता है तो कष्ट देख कर जल मछली का मोह छोड़कर जाल से बाहर निकल जाता है किंतु मछली जल से बिछड़ना सहन नहीं कर पाती और जल से बिछड़ते ही मर जाती हैं।  तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियत न पान।  कहि रहीम परकाज हित, संपति-संचहि सुजान॥ भावार्थ-    प्रस्तुत दोहे में रहीम जी परोपकार के महत्त्व को बताते हुए कहते हैं कि पेड़ अपने फल स्वयं नहीं खाते हैं तथा सरोवर (नदियाँ, तालाब) अपना जल स्वयं नहीं पीती हैं। वैसे ही सज्जन लोग होते हैं वे अपनी संपत्

Class 10 Hindi, पाठ 5 नागार्जुन-

Class 10 Hindi, पाठ 5 नागार्जुन  यह दंतुरित मुस्कान  पाठ सार “ यह दंतुरित मुसकान ” कविता के कवि नागार्जुन जी हैं। इस कविता के माध्यम से कवि ने उस नन्हे बच्चे की मन को मोह लेने वाली मुस्कान जिसमें कोई छल नहीं है और न ही कोई कपट मात्र है , उस का बहुत खूबसूरती से वर्णन किया है , जिसके अभी – अभी दूध के दांत निकलने शुरू हुए हैं। क्योंकि कवि काफी लम्बे समय के बाद अपने घर लौटे हैं और उनकी मुलाकात उनके 6 से 8 महीने के बच्चे से पहली बार हो रही हैं। इसीलिए कवि अपने उस नन्हे बच्चे की मन को मोह लेने वाली मुस्कान को देखकर वे कहते हैं कि अगर उसकी इस मुस्कान को कोई पत्थर हृदय वाला व्यक्ति भी देख ले तो , वह भी उसे प्यार किए बिना नहीं रह पाएगा और बच्चे की यह मन को मोह लेने वाली मुस्कान जीवन की कठिनाइयों व परेशानियों से निराश – हताश हो चुके व्यक्तियों को भी एक नई प्रेरणा दे सकती हैं। कवि को उस नन्हे बच्चे को देखकर ऐसा लग रहा है जैसे कमल का फूल किसी तालाब में खिलने के बजाय उसके घर के आंगन में ही खिल आया हो और कवि को ऐसा प्रतीत होता है कि उसको छू लेने मात्र भर से ही बांस या बबूल के पेड़ से शेफालिका के फूल

Class 10, Ch 6- मंगलेश डबराल- संगतकार

 Class 10, Ch 6- मंगलेश डबराल- संगतकार  1. संगतकार के माध्यम से कवि किस प्रकार के व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाह रहा है ? उत्तर-   संगतकार के माध्यम से कवि किसी भी कार्य अथवा कला में लगे सहायक कर्मचारियों और कलाकारों की ओर संकेत करना चाह रहा है। सहायक कलाकार अपनी प्रसिद्धि की परवाह किए बिना मुख्य कलाकार के महत्त्व को बढ़ाने का कार्य करते हैं| 2. संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा और किन-किन क्षेत्रों में दिखाई देते हैं ? उत्तर-  संगतकार जैसे व्यक्ति निम्नलिखित क्षेत्रों में मिलते हैं; जैसे - • सिनेमा के क्षेत्र में- फिल्म में अनेकों सह कलाकार और स्टंटमैन| • नृत्य के क्षेत्र में- अन्य सह नर्तक| • भवन निर्माण क्षेत्र में- मज़दूर| • राजनीति के क्षेत्र में- सहायक उपनेता और कार्यकर्ता| 3. संगतकार किन-किन रूपों में मुख्य गायक-गायिकाओं की मदद करते हैं? उत्तर-  संगतकार निम्नलिखित रूपों में संगतकार की मदद करते हैं - • वे अपनी आवाज़ और गूँज को मुख्य गायक की आवाज़ में मिलाकर उनकी आवाज़ का बल बढ़ाने का काम करते हैं| • जब मुख्य गायक गायन की गहराई में चले जाते हैं तब वे स्थायी पंक्ति को पकड़कर मुख्य गाय

Class 7, Chapter 7, पाठ 7 अपूर्व अनुभव

 Class 7, Chapter 7, पाठ 7 अपूर्व अनुभव  पाठ 7 अपूर्व अनुभव   प्रश्न 1. यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाने के लिए तोत्तो-चान ने अथक प्रयास क्यों किया ? लिखिए ।   उत्तर 1. यासुकी-चान तोत्तो-चान का प्रिय मित्र था । वह पोलियोग्रस्त था , इसलिए वह पेड़ पर नहीं चढ़ सकता था , जबकि जापान के शहर तोमोए में हर बच्चे का एक निजी पेड़ था , लेकिन यासुकी-चान ने शारीरिक अपंगता के कारण किसी पेड़ को निजी नहीं बनाया था । तोत्तो-चान की अपनी इच्छा थी कि वह यासुकी-चान को अपने पेड़ पर आमंत्रित कर दुनिया की सारी चीजें दिखाए । यही कारण था कि उसने यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाने के लिए अथक प्रयास किया ।   प्रश्न 2 . दृढ़ निश्चय और अथक परिश्रम से सफलता पाने के बाद तोत्तो-चान और यासुकी-चान को अपूर्व अनुभव मिला , इन दोनों के अपूर्व अनुभव कुछ अलग-अलग थे । दोनों में क्या अंतर रहे ? लिखिए ।    उत्तर- 2 . इन दोनों के अपूर्व अनुभव का अंतर निम्न रूप में कह सकते हैं -   तोत्तो चान - तोत्तो